प्रजापति कुम्हार समाज की आराध्य देवी भक्त शिरोमणी श्री श्रीयादे माता जयन्ती माघ शुक्ल दूज 23 जनवरी की आप सभी समाजबंधुओं को देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ( Shri Yade Mata Prajapati Samaj Jayanti 2023 Rajasthan India )
भक्त शिरोमणी,प्रकृति रक्षक,जीव दयालु भक्त *प्रहलाद भक्त की गुरु एवं प्रजापति कुम्हार समाज की आराध्य देवी* *श्री श्रीयादे माता जयन्ती माघ शुक्ल दूज 23 जनवरी की आप सभी समाजबंधुओं को देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं*।
*मां श्री यादें मां की कृपा आप सभी पर बनी रहे*।
प्रजापति कुम्हार समाज की आराध्य *माँ श्री श्रीयादे की जीवनी*
*बात सतयुग की हैं सतयुग के प्रथम चरण मेँ जब राजा हिरणाकश्यप का सम्पूर्ण देश में साम्राज्य था*, *उस समय भारत पाकिस्तान अलग नहीं हुए थे*, *आज का पूरा पाकिस्तान का भू भाग हिरणाकश्यप के साम्राज्य का हिस्सा था*,
*हिरणाकश्यप इतने शक्तिशाली थे कि वो अपने आप को ही भगवान मानते थे*, *विशेष कर वो भगवान विष्णु से काफी नफरत करते थे*, *इसलिए उन्होंने अपने साम्राज्य में किसी भी देवी देवता की पूजा अर्चना करने पर पूर्ण पाबन्दी लगा रखी थी*, *सभी को हिरणाकश्यप की मूर्ति की ही पूजा करनी होती थी*, *उसके साम्राज्य में यदि कोई भी देवी देवताओ की पूजा अर्चना, भजन भक्ति करता दिख जाता था तो उसके सैनिको को उसका वध कर देने का खुला आदेश था*, *और उसकी गर्दन काट दी जाती थी*,
*ऐसे समय में मां श्रीयादे का जन्म गुजरात राज्य के लावडजी ग्राम तालेडा पाटन में हुआ था*, *इनके पिता का नाम जालंधरा कुम्हार था जो मिट्टी के बरतन बनाकर अपना व अपने परिवार का जीवन यापन करते थे*,
*उसी गांव तालेड़ा में एक पहाड़ी पर एक संत, जिनका नाम उड़न ऋषि रहा करते थे*, *जो गुप्त रूप से भगवान विष्णु की भक्ति करते थे और दिखावे के लिए उन्होंने कुटिया में हिरणाकश्यप की प्रतिमा भी लगा रखी थी*,
*श्रीयादे संत की सेवा में कभी भोजन तो कभी पानी पहुचाने जाया करती थी*, *श्रीयादे की सेवा भाव से संत बहुत खुश थे*
*एक दिन श्रीयादे ने संत से पूछा आप हिरणाकश्यप की भक्ति क्यों करते हैं आप तो संत हैं क्या आपको भी मरने से डर लगता हैं तब संत ने कहा कि मुझे मौत से डर नहीं लगता, ये प्रतिमा दिखावे के लिए हैं* *ताकि मेरी भक्ति अविरल चलती रहे उसमें कोई बाधा ना आए तब श्रीयादे ने पूछा तो आप किसकी भक्ति करते हैं तो संत ने कहा मैं जगत के स्वामी भगवान विष्णु की भक्ति करता हूं* *पर तुम य़ह बात किसी को नहीं बताना*
तब श्रीयादे ने संत से कहा कि मुझे भी *विष्णु भक्ति करनी हैं तब संत ने कहा कि बिना गुरु बनाये भक्ति करना व्यर्थ हैं* *पहले किसी को गुरु बनाओ तब श्रीयादे ने उसी संत को अपना गुरु बनाया और गुरु की आज्ञा अनुसार गुप्त रूप से विष्णु की भक्ति करती रहीं*
*जब विवाह योग्य हुई तो उसका विवाह मुल्तान जो पहले भारत में था और अब देश बटवारे के बाद पाकिस्तान में हैं* *के सावंतजी सावलिया जो जाति से कुम्हार थे* *और जो मिट्टी के बरतन बनाते थे उनसे विवाह कर दिया दोनों मिट्टी से बरतन बनाते लगे, *श्रीयादे गुप्त रूप से विष्णु का भी नियमित ध्यान भजन करती रहती थी*
*एक समय एक बिल्ली ने एक मिट्टी के कच्चे मटके में दो बच्चों को जन्म दे दिया*, *श्रीयादे ने उस पात्र को अलग ही रख दिया और किसी काम से बाहर चली गई* *पति ने सभी मटकों को इकट्ठा कर आव बनाकर उसमें आग लगा दी*, जब काम से लौटी तो बिल्ली मियांउ मियांउ करती इधर उधर ढूंढ रहीं थीं
*श्रीयादे को वो मटका नहीं दिखा तो पूछने पर मालूम हुआ वो तो आव में रख दिया* *ये बात हवा कि तरह फैल गई माँ श्रीयादे काफी दुःखी हुई* और *भगवान विष्णु से प्रार्थना करने लगी तभी हिरणाकश्यप का पुत्र प्रह्लाद वहाँ आ गए*, और *देखा कि श्रीयादे, बिल्ली के बच्चों को बचाने की हरि विष्णु से प्रार्थना कर रहीं हैं तब प्रह्लाद ने श्रीयादे से कहा, यदि भगवान इन्हें नहीं बचा पाए तो तुम्हें मृत्यु दंड दिया जाएगा* *जब आव पक जाए तो मुझे बुलाने के बाद ही आव को हाथ लगाने का आदेश दिया, और दो सैनिक वही छोड़ दिए*,
*भगवान विष्णु जी की कृपा हुई और जो आव कई दिनों में पककर तैयार होता था वह एक ही दिन में पक कर तैयार हो गया*, आदेशानुसार प्रह्लाद को सूचना दी गई
*प्रह्लाद के आने के बाद आव से मटको को हटाया गया तो सभी देखकर दंग रह गए* *जिस मटके में बिल्ली के बच्चे थे, वो मटकी वैसी की वैसी कच्ची थीं और उसमें बिल्ली के बच्चे सकुशल थे* ये *देखकर प्रह्लाद का विश्वास हरि के प्रति और दृढ़ हो गया और श्रीयादे को अपना गुरु मान लिया* और कुम्हार प्रजापति समाज में जन्मी श्री यादें मां की प्रेरणा से *हरि की भक्ति करते हुए प्रह्लाद से भक्त प्रह्लाद बन गए*
*इस प्रकार माँ श्रीयादे की प्रेरणा और श्री हरि की कृपा से प्रह्लाद के सभी कष्टों निवारण हुआ और श्री हरि भगवान ने नृसिंह रूप में लेकर खंभे से प्रकट हुए और हीरणाकश्यप को मारकर उसके अत्याचारों से सभी को मुक्ति दिलाई*
ऐसी भक्त शिरोमणी श्री श्रीयादे माँ ने हमारे प्रजापति कुल में जन्म लिया, जो हमारे प्रजापति समाज के लिए गौरव हैं, और *प्रह्लाद को सच्चा भक्ति का ज्ञान देकर हिरणाकश्यप के अत्याचारों से सभी को मुक्ति दिलाई*, *तभी से माँ श्रीयादे को हमारी प्रजापति कुम्हार समाज की कुल की देवी माना गया हैं*। कहा य़ह भी जाता हैं, कि श्रीयादे माँ गौरा पार्वती का ही अवतरण थी,।
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