एक कुम्हार मजदूर का बेटा बना वैज्ञानिक, डेढ़ करोड़ का पैकेज ठुकराया।(hamirpur Prajapati proud of you Prajapati scientist boy)
हमीरपुरः एक कुम्हार मजदूर का बेटा बना वैज्ञानिक, डेढ़ करोड़ का पैकेज ठुकराया।
हमीरपुर, 03 अगस्त (उदयपुर किरण). उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक मजदूर का बेटा वैज्ञानिक बनकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है. उसने स्विटजरलैंड की डेढ़ करोड़ रुपये के पैकेज की नौकरी को भी देश के लिये ठुकरा दिया है.
जिले के सुमेरपुर क्षेत्र के पारा रैपुरा गांव निवासी राजाभइया दो बेटे और दो बेटियों का पिता है.
दो बेटियों की वह किसी तरह शादी कर चुका है. जबकि बड़े पुत्र सत्येन्द्र कुमार प्रजापति पढ़ाने के लिये उसने मजदूरी तक की. अब इसका केन्द्रीय प्रयोगशाला (सीएसआईआर) प्रगत पदार्थ एवं अनुसंधान संस्थान भोपाल में जूनियर रिसर्च फेलोशिप पद पर चयन हो गया है. गरीब परिवार में जन्मे इस होनहार युवक ने विषम परिस्थितियों में पढ़ाई कर इस मुकाम को हासिल किया है.
युवा वैज्ञानिक सत्येन्द्र कुमार प्रजापति ने शुक्रवार को बताया कि मोबाइल फोन की टच स्क्रीन को नये सिरे से आविष्कार किया जायेगा साथ ही अन्य महत्वपूर्ण रिसर्च भी किया जायेगा. ताकि देश का नाम रोशन हो सके. इस सफलता के लिये युवा वैज्ञानिक ने अपनी मां गीता और माहेश्वरी इण्टरकालेज के संरक्षक आनंदी प्रसाद पालीवाल और उप प्रबंधक पुनीत पालीवाल को दिया है.
श्रीमती गीता ने बताया कि बेटे ने बहुत गरीबी के दौर में पढ़ाई की है और इसने वैज्ञानिक बनकर उन्हें धन्य कर दिया है. बता दे कि यह युवक इसी विद्यालय में शिक्षण कार्य करते हुये वैज्ञानिक बनने की तैयारी भी कर रहा था. इस शिक्षक की सफलता पर विद्यालय में खुशी का माहौल है.
खेत बंधक होने पर पिता करता है मजदूरी
सत्येन्द्र प्रजापति ने बताया कि गायत्री इण्टरकालेज सुमेरपुर में वर्ष 2007 में हाईस्कूल प्रथम श्रेणी में पास किया. 76.67 फीसदी अंक मिले थे. एचआर इण्टरकालेज उरई जालौन से वर्ष 2009 में इन्टर किया जिसमें 79.2 फीसदी अंक मिले थे. गाजियाबाद में कृष्णा इंस्ट्रीट्यूट आफ इंजीनियरिंग कालेज से बी.टेक किया. उसे 71.14 फीसदी अंक हासिल हुये थे. बी.टेक करने के लिये पिता को पांच बीघा जमीन बैंक में गिरवी रख रखनी पड़ी. पिता मनरेगा में मजदूरी करता है.
बैंक से 3.85 लाख का कर्ज लेकर की पढ़ाई
सत्येन्द्र प्रजापति ने बताया कि बी.टेक की पढ़ाई के लिये इलाहाबाद बैंक से वर्ष 2010 में 3 लाख 85 हजार रुपये का कर्ज लिया था. बैंक का कर्जा भी 7 लाख रुपये हो गया जिसे लौटाने के लिये परिजन चिंतित है. उसने बताया कि उसके वैज्ञानिक बनने में माहेश्वरी इण्टरकालेज के संरक्षक आनंदी प्रसाद पालीवाल, प्रबंधक आलोक पालीवाल व उप प्रबंधक पुनीत पालीवाल का बड़ा ही योगदान है क्योंकि इन्हीं लोगों ने संघर्ष करने के रास्ते आसान किये है.
देश के लिये स्विटजरलैंड का आफर ठुकराया।
वैज्ञानिनक सत्येन्द्र प्रजापति ने बताया कि तीन दिन पहले एक्ससेंस बैंक इंडिया से काउंसलर ने फोन कर स्विटरजरलैंड में उन्हें डेढ़ करोड़ रुपये के पैकेज में ज्वाइन करने के लिये आफर दिया था जिसे मना कर दिया गया है. इसीलिये भोपाल में बीस लाख के पैकेज पर अब रिसर्च किया जायेगा. उसका कहना है कि देश से बढ़कर कुछ भी नहीं है भले ही उसे पेमेंट कम मिले. सत्येन्द्र माहेश्वरी इण्टरकालेज सुमेरपुर में इस समय इण्टर के विद्यार्थियों को फिजिक्स पढ़ा रहा है.
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