19 जनवरी माघ सुदी द्वितीया माँ श्रीयादे जयंती इन वर्षों में देश भर में धूमधाम से मनाई जाने लगी है और हर वर्ष इसका प्रचलन ओर विशालता बढ़ती जा रही है जो एक सुखद स्थिति है।
19 जनवरी माघ सुदी द्वितीया
माँ श्रीयादे जयंती
इन वर्षों में देश भर में धूमधाम से मनाई जाने लगी है और हर वर्ष इसका प्रचलन ओर विशालता बढ़ती जा रही है जो एक सुखद स्थिति है।
हालांकि कुछ #अतिबुद्धिशाली लोग इसे पाखंड, रूढ़िवाद ओर मनुवाद से जोड़कर देखते है पर सही में पर्व या उत्सव हमारी सामाजिक एकता , भाईचारे ओर सदभाव को बनाने और बढ़ाने में बहुत सहायक सिध्द होते है। अगर ये पर्व या उत्सव नही होते तो हर व्यक्ति अपनी आजीविका ओर अपने परिवार के भरण पोषण तक ही सीमित रहता। ये पर्व ही है जो वर्षभर में कई बार हमको आपस मे मिलाते है और खुशियां प्रदान करते है।
पर एक बात अवश्य ध्यान देने की है कि क्या हम इन आयोजनों के पीछे छुपी भावना को समझ पा रहे है? क्या हम लाखों करोड़ों का खर्च कर हजारों लाखों की संख्या में इन आयोजनों में इकट्ठे होकर कुछ सामाजिक लाभ उठा रहे है ?
यह सवाल विचारणीय है..
त्योहार सामाजिक बंधनों को प्रगाढ़ बनाने का एक माध्यम है. यह एक बहाना है अपनों से मिलने का, लड़ाई-झगड़ा भूलाकर एक होने का । कहते हैं जिंदगी बहुत छोटी है और यदि हम इस छोटी सी जिंदगी में भी अपनों से बैर पालकर बैठ जाएँ तो जिंदगी का क्या मजा आएगा?
इस बार राजस्थान में कई जगहों पर 18 व 19 जनवरी को माँ श्रीयादे की जन्म जयंती बहुत विशाल आयोजनों के साथ मनाई जा रही है।
ओर सौभग्य से अगले माह 25 फरवरी को जयपुर में पद्मश्री अर्जुन प्रजापति जी के नेतृत्व में समाज की राजनैतिक भागीदारी हेतू एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का आगाज किया जायेगा।
मेरा सभी समाज जनों से करजोड निवेदन है कि हम सब इन आयोजनों में आने वाले समस्त समाज जनों को इस राजनैतिक चेतना हेतू आयोजित कार्यक्रम में आने के लिए प्रेरित करें। एवम उन्हें समाज की राजनीतिक भागीदारी का महत्व समझायें। सभी श्रीयादे जयंती महोत्सव के आयोजक इन आयोजनों में इस सममेलन के लिए पम्पलेट छपवाकर एकत्रित समाज बंधुओं में बांटे।
व हो सके तो आयोजन स्थल पर बड़े होर्डिंग्स लगाएं।
25 फरवरी का कार्यक्रम किसी व्यक्ति , सन्गठन या राजनैतिक दल के द्वारा आयोजित नही होकर समस्त समाज का समाज के लिए एक ईमानदार प्रयास है जिसमे सभी का सहयोग अपेक्षित है।
¶साथियों इन सामाजिक उत्सवों के आयोजन का सही मायने में लाभ उस दिन मिलेगा जब हम लाखों की वहीद के रूप में जिस तरह इन आयोजनों में इकठ्ठे होते है उसी तरह इकट्ठे होकर अपनी राजनैतिक हिस्सेदारी के लिये कृतसंकल्प होंगे।¶
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